भोपाल में एक गर्भवती नवविवाहिता की इलाज के दौरान मौत हो गई। सुल्तानिया अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। बताया जाता है कि महिला को 7 महीने का गर्भ था। पुलिस को सूचना दिए बिना ही सुल्तानिया अस्पताल ने शव परिजनों को सौंप दिया। घटना की सूचना मिलने के बाद महिला के मायके पक्ष वालों ने गोविंदपुरा पुलिस थाने में शिकायत की। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
गोविंदपुरा पुलिस के अनुसार 47 साल की देवकी रैकवार पति गोविंद महाले ई-सेक्टर बरखेड़ा भेल में अपनी सास के साथ रहती थी। गोविंद बेंगलुरू में एक प्राइवेट कंपनी में करता है। देवकी भेल सोसाइटी में जॉब करती थी। रविवार को पेट में तकलीफ होने के बाद उसे सास सुल्तानिया अस्पताल ले गई, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मामले की जांच कर रहे विवेचना अधिकारी मुकेश स्थापक ने बताया कि देवकी को करीब 7 महीने का गर्भ था। मौत की सूचना सुल्तानिया अस्पताल ने स्थानीय थाने को नहीं दी और शव परिजनों को सौंप दिया। उन्होंने कस्तूरबा अस्पताल में शव को रख दिया। इधर देवकी के सागर के गौर झामर में मायके वालों को चला। उन्होंने भोपाल पहुंचकर इसकी शिकायत दर्ज कराई। परिजनों की शिकायत पर मामले की जांच शुरू कर दी है।
एक साल पहले जुड़वा बच्चों की भी मौत हुई थी
एसआई स्थापक ने बताया कि महिला बहुत कमजोर थी। करीब एक साल पहले उसे जुड़वा बच्चे हुए थे। वे भी बहुत कमजोर थे। उनकी मौत हो गई थी। अभी भी बच्चा करीब 7 महीने का था। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की पेट में मौत हो गई थी। इससे जहर बन गया। इसी कारण देवी की इलाज के दौरान मौत हो गई।
अस्पताल प्रबंधन की गलती
इस मामले में सुल्तानिया अस्पताल प्रबंधन की गलती सामने आई है। अस्पताल प्रबंधन को महिला की मौत की सूचना सबसे पहले पुलिस को देना चाहिए था। प्रबंधन ने पुलिस को सूचना देने की जगह शव परिजनों को सौंप दिया।
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