गणेश जी की तिरछी प्रतिमा का राज:गणेश जी की तिरछी मूर्ति का राज: 150 साल पहले लोगों ने आपत्ति ली तो बना दी रेत और चूने से 15 फीट की ऊंची तिरछी प्रतिमा
जिले के खिचलीपुर सोमवरिया में बीच चौराहे पर गणेश जी की 150 साल पुरानी तिरछी प्रतिमा है। जिसे स्वतंत्रता सेनानी भागीरथ चौधरी के पिता नाथूराम गुरगेला ने बनवाया था। गणेश जी का यह मंदिर चिंताहरण गणेश जी के नाम से प्रसिद्ध है। 15 फीट ऊंची होने के कारण इन्हें बडे़ गणेश जी के नाम से भी जाना जाता है। खास बात यह है कि यह प्रतिमा तिरछी है। क्योंकि लोगों का मानना था कि जिस तरफ गणेश जी का चेहरा होगा, उस जगह के लोग कंकाल हो जाएंगे, क्योंकि गणेश जी धन वर्षा अपने दोनों होथों से पीछे पीठ की तरफ करते हैं। जिसके बाद प्रतिमा को थोड़ा तिरछा बनाया गया था।
नाथू राम के वंशज कृष्ण मुरारी गरगेला।
किसने बनवाई थी मूर्ति नाथू राम चौधरी के वंशज कृष्ण मुरारी लाल गुरगेला ने बताया कि 1860 में खिचलीपुर खिचलपुर और सोमवरिया दो भागों में बंटा था। सोमवरिया के राजा दीप सिंह ने बसाया था। उसी समय नाथूराम गुरगेला नाम के बडे़ व्यापारी को गणेश जी ने सपने में मंदिर बनवाने को कहा था। जिसके बाद 1862 में रेत और चूने से गणेश जी की मूर्ति बनाने का काम शुरू किया गया। लोगों ने गणेश जी का चेहरा उनके तरफ होने पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद गणेश जी 15 फीट ऊंची तिरछी प्रतिमा बनाई गई थी। उस समय गणेश जी के मारवाडी साफा बांधा गया था जिसे बाद में मुकुट बनवा दिया गया।
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