MP में पटवारी हड़ताल खत्म:17 दिन से कलमबंद हड़ताल पर थे 19 हजार पटवारी, कोर्ट का आदेश आते ही वापस लौटने लगे; भोपाल में तहसीलों में आमद दी
MP में पटवारी हड़ताल खत्म हो गई है। प्रदेश के 19 हजार पटवारी 10 अगस्त से कलमबंद हड़ताल पर थे। 17वें दिन हाईकोर्ट का आदेश आते ही कई पटवारी वापस काम पर लौट आए। भोपाल में हुजूर तहसील परिसर में चल रहा धरना भी पटवारियों ने बंद कर दिया और तहसीलों में आमद देने लगे। हड़ताल की वजह से भोपाल समेत प्रदेशभर में रेवेन्यू से जुड़े काम अटक गए थे। न ही आय-जाति के सर्टिफिकेट और जमीन की नक्शा-खसरा रिपोर्ट बन पा रही थी। भोपाल में 2 हजार से अधिक मामले पेंडिंग हो गए थे।
मध्यप्रदेश के पटवारियों ने अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर 22 जून से चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया था। 3 दिन के सामूहिक अवकाश के बाद उन्होंने 10 अगस्त से कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी थी। इस कारण रेवेन्यू, वेब GIS सहित अन्य विभागों के सभी काम ठप पड़ गए थे। इधर, राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत समेत कई नेताओं से मेल-मिलाप का दौर भी जारी रहा। कई बार सकारात्मक चर्चा हुई, लेकिन बेनतीजा साबित हुई।
मप्र पटवारी संघ सरकार से आदेश चाहता था, क्योंकि 2 साल पहले भी लिखित आश्वासन देने के बावजूद सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया था। मांगें पूरी नहीं हुई और हड़ताल को लंबा वक्त बीतने लगा। इधर, पटवारियों के हड़ताल पर जाने से सरकारी और जनता से जुड़े काम प्रभावित होने लगे। जिसके चलते हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी। जिस पर शुक्रवार को फैसला ले लिया गया। हाईकोर्ट के सख्त तेवर के बाद पटवारियों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली।
हड़ताल खत्म होते ही कई पटवारी शुक्रवार को ही काम पर लौटने लगे। भोपाल की तहसीलों में कई पटवारियों ने आमद दर्ज करा दी। हालांकि, मप्र पटवारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह समेत कई पदाधिकारी के मोबाइल स्वीच ऑफ मिले।
आरआई को प्रभार सौंपने के निकाले थे आदेश
पटवारियों की हड़ताल के कारण भोपाल में काफी काम पेंडिंग हो गया है। जमीन से जुड़े मामले हो या आय-जाति के सर्टिफिकेट बनाने। इनमें पटवारी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। भोपाल में काम अटकने के चलते कलेक्टर अविनाश लवानिया ने आरआई (राजस्व निरीक्षक) को प्रभार सौंपने के आदेश निकाले थे। हालांकि, आरआई द्वारा काम किए जाने से पहले ही हड़ताल समाप्त हो गई।
इन मांगों को लेकर की थी हड़ताल
पटवारियों का ग्रेड पे 2800 करते हुए समयमान वेतनमान विसंगति को दूर किया जाए।
गृह जिले में पदस्थापना हो। वर्तमान में कई पटवारियों को गृह जिले से सैकड़ों किलोमीटर दूर पदस्थ कर दिया गया है।
नवीन पटवारियों की CPCT की अनिवार्यता संबंधी नियम समाप्त किया जाए।
अगस्त हड़ताल में बीता
पटवारियों ने 22 जून से चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करना शुरू किया था। हालांकि, जून-जुलाई में वे काम करते रहे, लेकिन अगस्त महीना तो हड़ताल में ही बीत गया। इस कारण काम प्रभावित हो रहा था।
2, 3 व 4 अगस्त को 3 दिन के सामूहिक अवकाश पर रहे थे।
3 अगस्त को जिला स्तर पर रैली व ज्ञापन सौंपे गए थे।
5 अगस्त को सभी ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार कर दिया था।
10 अगस्त से अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी गई थी।
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