कोरोना काल के बाद सुखद संदेश:देश में सबसे ज्यादा तितलियां महाराष्ट्र में, दूसरे नंबर पर पंजाब, 39 प्रजातियों की 1506 यहीं मिलीं

पंजाब में 39 प्रकार की प्रजातियां और 1506 तितलियां पाई गई हैं। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी ने पहली बार पंजाब में तितलियों की गणना की है। बिग बटरफ्लाई मंथ 2020 के तहत किए गए डेटा कलेक्शन अभियान में तितलियों को रजिस्टर्ड किया गया है। 39 प्रजाति की तितलियों में लेमनग्रास येलो, प्लेन टाइगर, कामन लेपर्ड, वाइट ओरेंज टिप, डेनाइड एग फ्लाई, काॅमन टाइगर, लेमन पेन्सी, पेन्टेड लेडी, जेजाबेल, ब्लू पेन्सी, येलो पेन्सी, टोनी कोस्टर, ब्लू टाइगर, लेमन पेन्सी, काॅमन जे, स्माल ग्रास यलो पंजाब में हैं। जेएंडके में 47 प्रजातियों की 1602, हिमाचल में 39 प्रजातियां की 80 तितलियां ही हैं। बटर फ्लाई फाउंडेशन के संस्थापक संजीव खन्ना ने बताया कि सितंबर 2020 में पहली बार पंजाब में तितलियां की गणना की गई। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 156 प्रजातियां की 4998 और पंजाब में 39 प्रजातियों की 1506 तितलियां पाई गई हैं। चॉकलेट पैंसी, कॉमन मॉर्मन, कॉमन ग्रास येलो, ग्रेट एगफ्लाई और कॉमन क्रो सबसे अधिक बार देखी गईं। विलुप्त होने वाली प्रजातियों की संख्या कोरोना काल के बाद बढ़ी कोरोना काल में कई प्रजातियां विलुप्त हो रही थीं, लेकिन फिर दोबारा संख्या बढ़नी शुरू हो गई। जानकारों के अनुसार 6 साल पहले वातावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन के कारण तितलियों की काफी प्रजातियां विलुप्त हो गईं। बटर फ्लाई फाउंडेशन को सर्वे के दौरान 18 प्रजातियां जालंधर में ही मिली हैं। गणना के दौरान उनके साथियों ने भी काफी सहयोग दिया। जालंधर-पठानकोट रोड, जालंधर कैंट, भोगपुर, करतारपुर, कपूरथला में सबसे अधिक तितलियों की प्रजातियां मिली हैं। जालंधर कैंट में हरियाली अधिक होने के कारण उन्हें सबसे ज्यादा तितलियां मिली हैं। बटर फ्लाई फाउंडेशन के संस्थापक संजीव खन्ना ने बताया कि तितलियों की गणना के लिए 30 से अधिक संस्थाओं ने सहयोग किया। इनमें 7 ऑब्जर्वर्स ने तितलियों की प्रजातियां गिनीं। जिक्रयोग है कि पूरे देश में 557 प्रजातियों की 38059 तितलियां हैं। तितलियां स्वच्छ वातावरण का संकेत देती हैं। अधिकतर तितलियों की 25 दिन ही जिंदगी अमूमन तितलियां 20 से 25 दिन ही जीवित रहती हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि तितलियों की गिनती के लिए सर्वे के तौर पर 10x10 फीट की उन जगहों का चयन किया जाता है, जहां तितलियां आती हैं। उनके आने, बैठने, उड़ने और समय को मापकर इनकी गणना की जाती है।

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