जंगली जानवरों की गिनती अक्टूबर से होगी शुरू:वन्य प्राणियों की गिनती के लिए 10 हजार अफसर 3 जंगलों में करेंगे ड्यूटी
मप्र के टाइगर स्टेट के दर्जे को बरकरार रखने के लिए वन विभाग ने तैयारी कर ली है। चार साल पहले हुई वन्यप्राणी गणना के अनुसार प्रदेश में 526 टाइगर हैं, वहीं कर्नाटक 524 बाघों के साथ दूसरे नंबर पर है। विभाग का अनुमान है कि मप्र में 650 से 700 टाइगर हैं। इस संख्या को प्रमाणित करने में छह माह का समय लगेगा।
विभाग अक्टूबर से वन्यप्राणियों की गणना का काम शुरू करेगा। उसे यह काम जनवरी 2022 तक खत्म करना है। अगस्त से सितंबर के बीच फॉरेस्ट के अफसरों-कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। वन्यप्राणियों की गणना एप के जरिए होगी। इससे रियल टाइम डाटा भोपाल स्थित मुख्यालय पहुंचेगा। चार से पांच महीने में पता चलेगा कि मप्र में टाइगर की संख्या बढ़कर कितनी हो गई है।
वन्य प्राणी गणना के लिए नई गाइडलाइन जारी होने के बाद एपीसीसीएफ हिम्मत सिंह नेगी को इसका नोडल ऑफिसर बनाया गया है। ट्रेनिंग में बताया जाएगा कि जंगल में जाकर कैसे पता करें कि किस इलाके में कौन सा जानवर है? टाइगर की संख्या पर फोकस रहेगा।
ऐसे आएगा रियल टाइम डाटा
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने गिनती का डाटा लेने का तरीका बदला है। इसके पहले चार बार हुई गणना में से तीन बार कागजों पर डाटा भरा गया था। आखिरी बार वर्ष 2018 की गणना में पत्रक व मोबाइल दोनों का इस्तेमाल हुआ था। गणना के कारण अगस्त के पहले एनटीसीए एप बनाकर देगा। इसे कर्मचारियों को अपने मोबाइल में डाउनलोड करना होगा।
इस बार एप से होगी
वन्य प्राणियों की गणना अक्टूबर से शुरू होगी। पिछले वर्ष के आंकड़े और टाइगर के कुनबों में नए सदस्यों के शामिल होने की सूचनाओं से संख्या बढ़ने का अनुमान है। इस बार गणना का काम एप से होगा।
आलोक कुमार, एपीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ
तीन चरण में इस तरह होगी गिनती
1. कार्निवाेर साइन सर्वे, ट्रांजिट वॉक और हैबिटाट असेस्मेंट जैसे काम पहले चरण में शामिल होंगे।यह प्रक्रिया सात दिन तक चलेगी। पहले 3 दिन जंगल की बीट में 15 किमी तक घूमकर मांसाहारी वन्यजीवों की उपस्थिति उनके पगमार्क, पेड़ों की खरोंच के निशान और मल-मूत्र के जरिए उपस्थिति देखी जाएगी।
2. हर बीट में पहली गिनती को आधार मानकर उस समय से बनी ट्रांजिट लाइन पर दो किमी तक बीट गार्ड चलकर गिनती करते हैं।
3. जीआईएस की मदद से देखा जाता है कि क्षेत्र में पानी की उपलब्धता कितनी है। जंगल की कटाई और उसका घनत्व भी देखा जाता है।
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