भोपाल। चीन में कोरोना वायरस के कहर का असर भारत के दवा बाजार पर भी पड़ रहा है। भारत में दवा बनाने के लिए उपयोग होने वाला कच्चा माल (एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट-एपीआई) चीन के वुहान शहर में तैयार होता है। कोरोना के चलते यहां एपीआई बनाने वाली कंपनियां बंद हैं। उत्पादन कम होने की वजह से कच्चा माल महंगा हो गया है। पैरासिटमॉल बनाने के लिए उपयोग होने वाला कच्चा माल महीने भर के भीतर 200 से बढ़कर 300 रुपए प्रति किलो हो गया। 11 फरवरी को फिर इसके रेट बढ़कर 400 से 450 रुपए प्रति किलो हो गए । कुछ एंटीबायोटिक, बीपी व डायबिटीज की दवाओं का कच्चा माल भी महंगा हुआ है। दवा निर्माताओं का कहना है कि 10 दिन में कुछ दवाएं महंगी हो सकती हैं।
एक दवा निर्माता कंपनी के संभागीय मार्केटिंग मैनेजर रवि शंकर ने बताया कि एलर्जी के उपयोग होने वाली दवा मोंटी ल्यूकास्ट सोडियम के दाम पहले 33000 से 38000 प्रति किलो थे। यह 11 फरवरी से बढ़कर 52000 से 58000 हो गया है। इसी तरह से एजिथ्रोमाइसीन (एंटीबायोटिक) दवा बनाने का कच्चा माल पहले 5200 से 6000 रुपए किलो तक मिल रहा था। 11 फरवरी से इसका दाम बढ़कर 8500 से बढ़ाकर 10500 रुपए प्रति किलो हो गया है। अन्य दवाओं के बनाने का कच्चा मॉल भी महंगा हो गया है। मां वैष्णो एजेंसी दवा बाजार भोपाल के हेमंत अग्रवाल ने बताया कि यही स्थिति रही तो पैरासिटामॉल की कमी हो सकती है। बता दें कि भोपाल में दवा बाजार में ज्यादातर दवाएं इंदौर से आती हैं।
पैरासिटॉमाल का एपीआई 400 रुपए प्रति किलो तक हो गया है। एंटीबायोटिक समेत कई दवाओं का कच्चा माल महंगा हुआ है। करीब 10 दिन में दवाओं के रेट बढ़ सकते हैं। दवाओं की कमी भी हो सकती है। - हिमांशु शाह, प्रेसीडेंट, मप्र स्माल स्केल ड्रग मैनूफैक्चरर
दवाओं की कमी और कीमतों पर भारत सरकार की पूरी नजर है। इस संबंध में हाल ही में दिल्ली में सेंट्रल ड्रग कंट्रोल आर्गनाइजेशन व अन्य अधिकारियों की बैठक हुई थी। सभी अहम दवाएं मूल्य नियंत्रण के दायरे में हैं। उनकी दरें कंपनियां नहीं बढ़ा सकती। शोभित कोष्टा, डिप्टी ड्रग कंट्रोलर, मप्र
Comments
Post a Comment