गुजराती में JEE मेंस पर ममता का सवाल, NTA का जवाब- किसी अन्य राज्य ने नहीं किया था अनुरोध


एनटीए ने कहा कि गुजरात ने हमसे अनुरोध किया था इसलिए गुजराती में प्रश्नपत्र उपलब्ध करने की व्यवस्था है। बाकी के राज्यों ने इस संबंध में हमसे कोई संपर्क नहीं किया है




  • जेईई (मेन) की परीक्षा के पेपर गुजराती में भी उपलब्ध होने के सवाल का एनटीए ने जवाब दिया है

  • इसने कहा कि हमने 2013 में सभी राज्यों को इंजिनियरिंग कॉलेज में दाखिले के लिए अनुरोध भेजा था

  • एनटीए ने कहा कि किसी भी राज्य ने इसपर जवाब नहीं दिया सिर्फ गुजरात ने इसमें रुचि दिखाई थी

  • गुजरात ने हालांकि इसके लिए गुजराती भाषा में प्रश्नपत्र उपलब्ध कराए जाने की मांग की थी



 

नई दिल्ली
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा सिर्फ गुजराती में कराए जाने के फैसले पर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सवाल उठाए थे। एनटीए (नैशनल टेस्टिंग एजेंसी) ने सभी तथ्यों के साथ ममता बनर्जी के सवालों का जवाब दिया है। एनटीए ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि गुजरात ने हमसे अनुरोध किया था इसलिए गुजराती में प्रश्नपत्र उपलब्ध करने की व्यवस्था है। बाकी के राज्यों ने इस संबंध में हमसे कोई संपर्क नहीं किया है।


एनटीए की तरफ से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया है कि जेईई(मेन) परीक्षा की शुरुआत 2013 को इस अवधारणा के साथ की गई थी कि सभी राज्य अपने इंजिनियरिंग कैंडिडेट को अपने कॉलेजों में जेईई(मेन) के जरिए प्रवेश देंगे। इसने कहा, ' 2013 में सभी राज्यों को अनुरोध भेजा गया था। सिर्फ गुजरात ही अपने इंजिनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स को जेईई(मेन) के जरिए दाखिला दिलवाने के लिए तैयार हुआ और उसने साथ में अपील की थी कि प्रश्नपत्र गुजराती भाषा में उपलब्ध होना चाहिए।'

एनटीए ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, 'इसके बाद 2014 में महाराष्ट्र भी अपने कैंडिडेट को राज्य इंजिनियरिंग कॉलेज में जेईई (मेन) के जरिए दाखिला दिलाने के लिए तैयार हुआ। महाराष्ट्र ने प्रवेश परीक्षा का पेपर उर्दू और मराठी में भी उपलब्ध कराने की अपील की थी।'

इसने बताया कि 2016 में दोनों राज्यों ने जेईई (मेन) के जरिए प्रवेश दिलाने के फैसला रद्दा कर दिया। इसके बाद मराठी और उर्दू में प्रश्नपत्र का अनुवाद बंद कर दिया गया। हालांकि, गुजरात सरकार के अनुरोध पर जेईई (मेन) के टेस्ट पेपर का गुजराती में अनुवाद जारी रहा। एनटीए ने कहा, 'किसी भी राज्य ने जेईई (मेन) के प्रश्नपत्र को किसी अन्य भारतीय भाषा में उपलब्ध कराने की अपील नहीं की है।'

हिंदी, अंग्रेजी के अलावा सिर्फ गुजराती में जेईई-मेंस, भड़कीं ममता बनर्जी

ममता बनर्जी ने बुधवार को ट्वीट कर सवाल उठाया था, 'जेईई अब तक सिर्फ अंग्रेजी और हिंदी भाषा में ही कराए जाते थे। हैरानी की बात है कि अब गुजराती को भी शामिल किया गया है। यह कदम निश्चित रूप से प्रशंसा के काबिल नहीं है।' मुझे गुजराती भाषा से प्यार है। लेकिन, अन्य भारतीय भाषाओं की अनदेखी क्यों की जा रही है? उनके साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है? अगर गुजराती उपलब्ध है, तो फिर बंगाली सहित अन्य भारतीय भाषाओं को भी शामिल करना चाहिए।'

ममता ने कहा कि अगर इस पर सही तरीके से फैसला नहीं होता, तो इस पर हर तरफ से कड़ा विरोध दर्ज कराया जाएगा क्योंकि इस अन्याय से अन्य क्षेत्रीय भाषा के लोगों की भावना को काफी ठेस पहुंचेगी।


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