बचपन में बहुत से लोग दादागिरी के शिकार होते हैं. कुछ बच्चे तो ख़ुद ही ऐसे काम करते हैं. दूसरों को डराते-धमकाते हैं. हो सकता है कभी हमने भी, दूसरे बच्चों को बिना किसी बात के पीटा भी हो, या हमने ख़ुद मार खाई हो.
अंग्रेज़ी में इसे 'बुली' करना और हिंदी में 'धौंस जमाना' कहते हैं. स्कूल में बहुत से बच्चे ऐसे अनुभवों से गुज़रते हैं.
लेकिन जो बच्चे दादागिरी करते हैं, उन पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. डर उनके ज़हन की गहराइयों में बैठ जाता है. उनमें आत्मविश्वास और साहस की कमी हो जाती है. बच्चे तो मासूम होते हैं. फिर उनमें ये प्रवृत्ति कहां से पैदा हो जाती है?
यूनिवर्सिटी ऑफ़ नॉर्थ कैरोलिना की प्रोफ़ेसर डोरोथी स्पेलेज का कहना है कि इस बारे में अभी तक जितनी रिसर्च हुई थी, उसके आधार पर माना जा रहा था कि बहुत आक्रामक स्वभाव वाले बच्चे ही इस तरह का बर्ताव करते हैं. ऐसा स्वभाव बनाने में घर का हिंसक माहौल भी अहम भूमिका निभाता है.
ये ज़्यादातर ऐसे बच्चे होते हैं जिन्हें घर में तवज्जो नहीं मिलती. लेकिन अब नई रिसर्च बताती है कि तस्वीर बदल रही है. नई रिसर्च के मुताबिक़, दो ग्रुप या बच्चों के बीच आक्रामक टकराव में किसी भी तरह की ताक़त का असंतुलन होना शामिल है.
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