पराली जलाने वालों को 17 साल की लड़की ने दी सीख, किसानों ने पकड़ी सही राह


पंजाब के संगरूर जिले की निवासी अमनदीप कौर ने किसानों को सिखाया है कि कैसे बिना पराली जलाए भी खेतों में बुवाई की जा सकती है। अमनदीप को देखकर सैकड़ों किसानों ने पराली जलाना बंद कर दिया है।




  • पंजाब के संगरूर की एक लड़की ने पराली जलाने वालों को दिखाई नई राह

  • अमनदीप ने पराली जलाना बंद करके बीज बोने की मशीन का इस्तेमाल करना शुरू किया

  • इससे पराली को जलाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे प्रदूषण नहीं फैलता है

  • पराली ना जलाने से फसल उत्पादन बढ़ा है और खाद की जरूरत कम हो गई है



 

संगरूर
पिछले कुछ सालों में पराली (फसलों के अवशेष) जलाने की समस्या ने काफी चर्चा बटोरी है। पराली जलाने से हवा में प्रदूषकों की मात्रा खतरे के निशान से ऊपर पहुंच रही है। पंजाब के संगरूर जिले की निवासी 17 वर्षीय अमनदीप कौर ने खुद तो पराली जलाना बंद किया ही है, उन्हें देखकर और भी किसानों ने पराली जलाना बंद कर दिया है। इससे किसानों को खाद की जरूरत कम पड़ रही है और मिट्टी की सेहत भी सुधर रही है।


जानकारी के मुताबिक, अमनदीप को बचपन में सांस से संबंधित कुछ बीमारी थी, जिसके चलते उन्होंने अपने पिता को इस बात के लिए राजी किया कि वह पराली नहीं जलाएंगे। खेत में फसल के अवशेषों के निपटारे के लिए अमनदीप के पिता अब बीज बोने वाली मशीन का उपयोग करते हैं।

सांस की बीमारी के चलते बंद हुआ पराली जलाना

अमनदीप बताती हैं, 'मैं जब छह साल की थी तो मुझे सांस संबंधी बीमारी थी। धान की कटाई के बाद पराली जलाए जाने से समस्या बढ़ जाती थी। मेरे पिता के पास 20 एकड़ जमीन है और वह 25 एकड़ जमीन किराए पर लेकर खेती करते हैं। उन्होंने उसी वक्त से पराली जलाना बंद कर दिया।' बुधवार को भी अमनदीप के खेत में मशीन से गेहूं की बुवाई की गई।


अमनदीप आगे बताती हैं, 'मैं जैसे-जैसे बड़ी हुई, मुझे पराली जलाने के नुकसान समझ आने लगे। मैंने कृषि विज्ञान में ग्रैजुएशन किया। मैंने बीज बोने वाली मशीन का इस्तेमाल करना शुरू किया और खुद ट्रैक्टर चलाना भी सीखा। अब मैं ही खेत की जुताई करती हूं।'

पराली ना जलाने से कम हुई खाद की जरूरत

अमनदीप यह भी बताती हैं कि पराली ना जलाने से खेतों की उपजाऊ क्षमता बढ़ गई है और अब उनके खेतों में 60 से 70 पर्सेंट कम खाद का इस्तेमाल होता है। अमनदीप की सफलता देखकर गांव के और भी लोगों को हौसला मिला है और उन्होंने भी पराली जलाना बंद कर दिया है। पराली जलाना बंद करने से गांव के लोगों को भी काफी फायदा हुआ है और उन्हें बेहतर उत्पादन भी मिल रहा है।

गांव के सरपंच गुरतेज सिंह कहते हैं कि पिछले दो सालों से अमनदीप खेत की जुताई कर रही है। उससे प्रेरित होकर गांव के 80 पर्सेंट किसानों ने पराली जलाना बंद कर दिया है। मिट्टी बेहतर होते देख और खाद की जरूरत में कमी आते देख और लोग भी अब पराली जलाना बंद कर रहे हैं।


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